इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम भी हया भी
ज़ालिम में और इक बात है इस सब के सिवा भी
अकबर इलाहाबादी
जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर
हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है
laughing, she inquired when, I said "I love you"
is there anything else at all that you know to do
अकबर इलाहाबादी
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है
अल्लामा इक़बाल
पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह
ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ
आरज़ू लखनवी
साथ शोख़ी के कुछ हिजाब भी है
इस अदा का कहीं जवाब भी है
दाग़ देहलवी
शोख़ी से ठहरती नहीं क़ातिल की नज़र आज
ये बर्क़-ए-बला देखिए गिरती है किधर आज
दाग़ देहलवी
पर्दा-ए-लुत्फ़ में ये ज़ुल्म-ओ-सितम क्या कहिए
हाए ज़ालिम तिरा अंदाज़-ए-करम क्या कहिए
फ़िराक़ गोरखपुरी