दोस्त अहबाब से लेने न सहारे जाना
दिल जो घबराए समुंदर के किनारे जाना
अब्दुल अहद साज़
कटी हुई है ज़मीं कोह से समुंदर तक
मिला है घाव ये दरिया को रास्ता दे कर
अदीम हाशमी
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा
अहमद नदीम क़ासमी
बंद हो जाता है कूज़े में कभी दरिया भी
और कभी क़तरा समुंदर में बदल जाता है
फ़रियाद आज़र
समुंदर अदा-फ़हम था रुक गया
कि हम पाँव पानी पे धरने को थे
इरफ़ान सिद्दीक़ी
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उन्हें ठहरे समुंदर ने डुबोया
जिन्हें तूफ़ाँ का अंदाज़ा बहुत था
मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद
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नज़रों से नापता है समुंदर की वुसअतें
साहिल पे इक शख़्स अकेला खड़ा हुआ
मोहम्मद अल्वी