मैं ने देखा है बहारों में चमन को जलते
है कोई ख़्वाब की ताबीर बताने वाला
अहमद फ़राज़
चमन में रहने वालों से तो हम सहरा-नशीं अच्छे
बहार आ के चली जाती है वीरानी नहीं जाती
we desert dwellers have a stable state
compared to those that in gardens stay
अख़्तर शीरानी
शाख़ों से बर्ग-ए-गुल नहीं झड़ते हैं बाग़ में
ज़ेवर उतर रहा है उरूस-ए-बहार का
अमीर मीनाई
क्या ख़बर मुझ को ख़िज़ाँ क्या चीज़ है कैसी बहार
आँखें खोलीं आ के मैं ने ख़ाना-ए-सय्याद में
अमीरुल्लाह तस्लीम
ख़िज़ाँ का भेस बना कर बहार ने मारा
मुझे दो-रंगी-ए-लैल-ओ-नहार ने मारा
आरज़ू लखनवी
ये सोचते ही रहे और बहार ख़त्म हुई
कहाँ चमन में नशेमन बने कहाँ न बने
i kept contemplating, spring came and went away
where in the garden should I make my nest today
असर लखनवी
बहार चाक-ए-गिरेबाँ में ठहर जाती है
जुनूँ की मौज कोई आस्तीं में होती है
अज़ीज़ हामिद मदनी