हर इक का दिल मोह लेती थी उस की इक मुस्कान
ये मुस्कान थी साथ उस के चेहरे की पहचान
ताज सईद
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किस ने आ कर हम को दी आवाज़ पिछली रात में
कौन हम को छेड़ने आया है इन लम्हात में
ताज सईद
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मैं ने ज़ुल्मत के फ़ुसूँ से भागना चाहा मगर
मेरे पीछे भागती फिरती मिरी रुस्वाई थी
ताज सईद
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मसअला ये भी तो है इस अहद का ऐ जान-ए-जाँ
क्यूँ निछावर जाँ करें किस के लिए ज़िंदा रहें
ताज सईद
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मुझ से कन्नी काट न गोरी मैं हूँ तेरी छाया
मैं इक दाता जोगी बन कर तेरी गली में आया
ताज सईद
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पत्ता पत्ता शाख़ से टूटे दरवाज़ों पे वहशत सी
यारो प्रेम कथा में किस ने दर्द की तान मिलाई है
ताज सईद
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