ऐ मिरे मूनिस ओ ग़म-ख़्वार मुझे मरने दे
बात अब हुक्म की तामील तक आ पहुँची है
मिस्दाक़ आज़मी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
फ़क़त मिलना-मिलाना कम हुआ है
हमारी दोस्ती टूटी नहीं है
मिस्दाक़ आज़मी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ग़ार वालों की तरह निकला है वो कमरे से आज
उस को इस दुनिया की तब्दीली का अंदाज़ा नहीं
मिस्दाक़ आज़मी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
इक तबस्सुम का भरम आबाद होंटों पर किए
जी रहे हैं लोग अपनी अपनी वीरानी के साथ
मिस्दाक़ आज़मी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ख़ुशनुमा मंज़र भी सब धुंधले नज़र आते हैं यार
जब दिलों में भी उतर जाती है सहराओं की ख़ाक
मिस्दाक़ आज़मी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |