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मनीश शुक्ला शायरी | शाही शायरी

मनीश शुक्ला शेर

29 शेर

आख़िर हम को बे-ज़ारी तक ले आई
हर शय पर गिरवीदा रहने की आदत

मनीश शुक्ला




अब अपना चेहरा बेगाना लगता है
हम को थी संजीदा रहने की आदत

मनीश शुक्ला




अब तक जिस्म सुलगता है
कैसी थी बरसात न पूछ

मनीश शुक्ला




अव्वल आख़िर ही जब नहीं बस में
क्या करें दरमियान की बातें

मनीश शुक्ला




बात करने का हसीं तौर-तरीक़ा सीखा
हम ने उर्दू के बहाने से सलीक़ा सीखा

मनीश शुक्ला




बताऊँ क्या तुम्हें हासिल सफ़र का
अधूरी दास्ताँ है और मैं हूँ

मनीश शुक्ला




चंद लकीरें तो इस दर्जा गहरी थीं
देखने वाला डूब गया तस्वीरों में

मनीश शुक्ला




दिल का सारा दर्द भरा तस्वीरों में
एक मुसव्विर नक़्श हुआ तस्वीरों में

मनीश शुक्ला




गुफ़्तुगू का कोई तो मिलता सिरा
फिर उसे नाराज़ कर के देखते

मनीश शुक्ला