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मनीश शुक्ला शायरी | शाही शायरी

मनीश शुक्ला शेर

29 शेर

अब तक जिस्म सुलगता है
कैसी थी बरसात न पूछ

मनीश शुक्ला




अब अपना चेहरा बेगाना लगता है
हम को थी संजीदा रहने की आदत

मनीश शुक्ला