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यार हमारी बात न पूछ | शाही शायरी
yar hamari baat na puchh

ग़ज़ल

यार हमारी बात न पूछ

मनीश शुक्ला

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यार हमारी बात न पूछ
कैसे बीती रात न पूछ

किस दर्जा पामाल हुए
बेकस के जज़्बात न पूछ

अब तक जिस्म सुलगता है
कैसी थी बरसात न पूछ

आँखों की तहरीर समझ
क्या है अपनी ज़ात न पूछ

बस अपना किरदार निभा
किस की होगी मात न पूछ

दिल उफ़ कर के बैठ गया
कैसे थे लम्हात न पूछ

सफ़र कड़ा है चलता चल
कौन है किस के साथ न पूछ