यार हमारी बात न पूछ
कैसे बीती रात न पूछ
किस दर्जा पामाल हुए
बेकस के जज़्बात न पूछ
अब तक जिस्म सुलगता है
कैसी थी बरसात न पूछ
आँखों की तहरीर समझ
क्या है अपनी ज़ात न पूछ
बस अपना किरदार निभा
किस की होगी मात न पूछ
दिल उफ़ कर के बैठ गया
कैसे थे लम्हात न पूछ
सफ़र कड़ा है चलता चल
कौन है किस के साथ न पूछ
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ग़ज़ल
यार हमारी बात न पूछ
मनीश शुक्ला