कहने की तो बात नहीं है लेकिन कहनी पड़ती है
दिल की नगरी में मत जाना जो जाए पछताए
हुसैन माजिद
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कल जो मैं ने झाँक के देखा उस की नीली आँखों में
उस के दिल का ज़ख़्म तो 'माजिद' सागर से भी गहरा है
हुसैन माजिद
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'माजिद' ख़ुदा के वास्ते कुछ देर के लिए
रो लेने दे अकेला मुझे अपने हाल पर
हुसैन माजिद
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उस का चेहरा उदास है 'माजिद'
आईने पर नज़र गई होगी
हुसैन माजिद
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