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हिजाब अब्बासी शायरी | शाही शायरी

हिजाब अब्बासी शेर

3 शेर

दुआ ही वज्ह-ए-करामात थोड़ी होती है
ग़ज़ब की धूप में बरसात थोड़ी होती है

हिजाब अब्बासी




है जब तक दश्त-पैमाई सलामत
रहेगी आबला-पाई सलामत

हिजाब अब्बासी




हम इस शहर-ए-जफ़ा-पेशा से कुछ उम्मीद क्या रक्खें
यहाँ इस हाव-हू में ख़ामुशी को कौन लिक्खेगा

हिजाब अब्बासी