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फ़रहत कानपुरी शायरी | शाही शायरी

फ़रहत कानपुरी शेर

6 शेर

आँखों में बसे हो तुम आँखों में अयाँ हो कर
दिल ही में न रह जाओ आँखों से निहाँ हो कर

फ़रहत कानपुरी




दौलत-ए-अहद-ए-जवानी हो गए
चंद लम्हे जो कहानी हो गए

फ़रहत कानपुरी




दिल की राहें जुदा हैं दुनिया से
कोई भी राहबर नहीं होता

फ़रहत कानपुरी




दुनिया ने ख़ूब समझा दुनिया ने ख़ूब परखा
मेरी नज़र को देखा जब आप की नज़र से

फ़रहत कानपुरी




'फ़रहत' तिरे नग़मों की वो शोहरत है जहाँ में
वल्लाह तिरा रंग-ए-सुख़न याद रहेगा

फ़रहत कानपुरी




हस्ती का राज़ क्या है ग़म-ए-हस्त-ओ-बूद है
आलम तमाम दाम-ए-रुसूम-ओ-क़़ुयूद है

फ़रहत कानपुरी