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फ़ैज़ान हाशमी शायरी | शाही शायरी

फ़ैज़ान हाशमी शेर

9 शेर

बहुत क़दीम नहीं कल का वाक़िआ है ये
मैं इस ज़मीन पे उतरा था तेरी ज़ात के साथ

फ़ैज़ान हाशमी




बस यही सोच के रहता हूँ मैं ज़िंदा इस में
ये मोहब्बत है कोई मर नहीं सकता इस में

फ़ैज़ान हाशमी




जिस परी पर मर मिटे थे वो परी-ज़ादी न थी
ब'अद में जाना कि उस के दोनों पर होते थे हम

फ़ैज़ान हाशमी




ख़ला में गिरवी रक्खा अपने सारे ख़्वाबों को
और इस ज़मीन पे छोटा सा घर लिया मैं ने

फ़ैज़ान हाशमी




मैं अपनी ख़ुशियाँ अकेले मनाया करता हूँ
यही वो ग़म है जो तुझ से छुपा हुआ है मिरा

फ़ैज़ान हाशमी




मैं उस को ख़्वाब में कुछ ऐसे देखा करता था
तमाम रात वो सोते में मुस्कुराती थी

फ़ैज़ान हाशमी




तेरा बोसा ऐसा प्याला है जिस में से
पानी पीने वाला प्यासा रह जाएगा

फ़ैज़ान हाशमी




तेरी ही सैर के लिए आता रहूँगा बार बार
तेरा था सात दिन का शौक़ मेरी है उम्र भर की सैर

फ़ैज़ान हाशमी




वो क्या ख़ुशी थी जो दिल में बहाल रहती थी
मगर वज्ह नहीं बनती थी मुस्कुराने की

फ़ैज़ान हाशमी