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आँखें बुझ जाएँगी शोला रह जाएगा | शाही शायरी
aankhen bujh jaengi shoala rah jaega

ग़ज़ल

आँखें बुझ जाएँगी शोला रह जाएगा

फ़ैज़ान हाशमी

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आँखें बुझ जाएँगी शोला रह जाएगा
यानी जो देखा था देखा रह जाएगा

अगली साअत शेर पूरा कर पाएगी
या ये मिस्रा मेरे जैसा रह जाएगा

तेरा बोसा ऐसा प्याला है जिस में से
पानी पीने वाला प्यासा रह जाएगा

दोनों में से उस पे दिल को रुकना होगा
लम्हों में से जो ज़्यादा रह जाएगा

मेरी आहट सुन ले जो तू सुन सकता है
फिर ये आना जाना नग़्मा रह जाएगा

रंग आख़िर उड़ते जाएँगे यादों के
दिल में बाक़ी है जो ख़ाका रह जाएगा

लड़कियाँ दो उठ न पाएँगी लेटी तो
हुस्न अपना हुस्न चुनता रह जाएगा