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अताउर्रहमान जमील शायरी | शाही शायरी

अताउर्रहमान जमील शेर

7 शेर

आँसू तुम्हारी आँख में आए तो उठ गए
हम जब करम की ताब न लाए तो उठ गए

अताउर्रहमान जमील




आने वाली आ नहीं चुकती जाने वाली जा भी चुकी
वैसे तो हर जाने वाली रात थी आने वाली रात

अताउर्रहमान जमील




दिल पर बर्फ़ की सिल रख देना नागन बन कर डस लेना
अपने लिए दोनों ही बराबर काली हो कि उजाली रात

अताउर्रहमान जमील




कुछ ख़्वाब कुछ ख़याल में मस्तूर हो गए
तुम क्या क़रीब निकले कि सब दूर हो गए

अताउर्रहमान जमील




तुम्हारी बज़्म से जब भी उठे तो हाल-ज़दा
कभी जवाब के मारे कभी सवाल-ज़दा

अताउर्रहमान जमील




उन को भी 'जमील' अपने मुक़द्दर से गिला है
वो लोग जो सुनते थे कि चालाक बहुत हैं

अताउर्रहमान जमील




ये दुनिया है यहाँ हर आबगीना टूट जाता है
कहीं छुपते फिरो आख़िर ज़माना ढूँढ ही लेगा

अताउर्रहमान जमील