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अशफ़ाक़ नासिर शायरी | शाही शायरी

अशफ़ाक़ नासिर शेर

10 शेर

ऐ जुनूँ उस की कहानी भी सुनाऊँगा तुझे
ये जो पैवंद मिरे चाक में देखा गया है

अशफ़ाक़ नासिर




हम आइने में तिरा अक्स देखने के लिए
कई चराग़ नदी में बहाने लगते हैं

अशफ़ाक़ नासिर




हम फ़क़त तेरी गुफ़्तुगू में नहीं
हर सुख़न हर ज़बान में हम हैं

अशफ़ाक़ नासिर




हिज्र इंसाँ के ख़द-ओ-ख़ाल बदल देता है
कभी फ़ुर्सत में मुझे देखने आना मिरे दोस्त

अशफ़ाक़ नासिर




जा तुझे तेरे हवाले कर दिया
खेंच ले ये हाथ फैलाया हुआ

अशफ़ाक़ नासिर




शाम ढलने से फ़क़त शाम नहीं ढलती है
उम्र ढल जाती है जल्दी पलट आना मिरे दोस्त

अशफ़ाक़ नासिर




शाम होती है तो लगता है कोई रूठ गया
और शब उस को मनाने में गुज़र जाती है

अशफ़ाक़ नासिर




वो जिस में लौट के आती थी एक शहज़ादी
अभी तलक नहीं भूली वो दास्ताँ मुझ को

अशफ़ाक़ नासिर




वो फूल हो सितारा हो शबनम हो झील हो
तेरी किताब-ए-हुस्न के सब इक़्तिबास थे

अशफ़ाक़ नासिर