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अशफ़ाक़ हुसैन शायरी | शाही शायरी

अशफ़ाक़ हुसैन शेर

15 शेर

बहुत छोटा सा दिल और इस में इक छोटी सी ख़्वाहिश
सो ये ख़्वाहिश भी अब नीलाम करने के लिए है

अशफ़ाक़ हुसैन




दिल की जागीर में मेरा भी कोई हिस्सा रख
मैं भी तेरा हूँ मुझे भी तो कहीं रहना है

अशफ़ाक़ हुसैन




दिल में सौ तीर तराज़ू हुए तब जा के खुला
इस क़दर सहल न था जाँ से गुज़रना मेरा

अशफ़ाक़ हुसैन




दिन भर के झमेलों से बचा लाया था ख़ुद को
शाम आते ही 'अश्फ़ाक़' मैं टूटा हुआ क्यूँ हूँ

अशफ़ाक़ हुसैन




जो ख़्वाब की दहलीज़ तलक भी नहीं आया
आज उस से मुलाक़ात की सूरत निकल आई

अशफ़ाक़ हुसैन




काम जो उम्र-ए-रवाँ का है उसे करने दे
मेरी आँखों में सदा तुझ को हसीं रहना है

अशफ़ाक़ हुसैन




कौन हैं वो जिन्हें आफ़ाक़ की वुसअत कम है
ये समुंदर न ये दरिया न ये सहरा मेरा

अशफ़ाक़ हुसैन




खुल कर तो वो मुझ से कभी मिलता ही नहीं है
और उस से बिछड़ जाने का इम्कान है यूँ भी

अशफ़ाक़ हुसैन




लफ़्ज़ों में हर इक रंज समोने का क़रीना
उस आँख में ठहरे हुए पानी से मिला है

अशफ़ाक़ हुसैन