मैं अपनी प्यास में खोया रहा ख़बर न हुई
क़दम क़दम पे वो दरिया पुकारता था मुझे
अशफ़ाक़ हुसैन
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फूल महकेंगे यूँही चाँद यूँही चमकेगा
तेरे होते हुए मंज़र को हसीं रहना है
अशफ़ाक़ हुसैन
तलाश अपनी ख़ुद अपने वजूद को खो कर
ये कार-ए-इश्क़ है इस में लगा तो मैं भी हूँ
अशफ़ाक़ हुसैन
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तुम्हें मनाने का मुझ को ख़याल क्या आए
कि अपने आप से रूठा हुआ तो मैं भी हूँ
अशफ़ाक़ हुसैन
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टूटे हुए लोग हैं सलामत
ये नक़्ल-ए-मकानी का मोजज़ा है
अशफ़ाक़ हुसैन
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वो हो न सका अपना तो हम हो गए उस के
उस शख़्स की मर्ज़ी ही में ढाले हुए हम हैं
अशफ़ाक़ हुसैन
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