EN اردو
अल्ताफ़ मशहदी शायरी | शाही शायरी

अल्ताफ़ मशहदी शेर

3 शेर

फिर दयार-ए-हिन्द को आबाद करने के लिए
झूम कर उट्ठो वतन आज़ाद करने के लिए

अल्ताफ़ मशहदी




पी के जीते हैं जी के पीते हैं
हम को रग़बत है ऐसे जीने से

अल्ताफ़ मशहदी




टपके जो अश्क वलवले शादाब हो गए
कितने अजीब इश्क़ के आदाब हो गए

अल्ताफ़ मशहदी