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अलीना इतरत शायरी | शाही शायरी

अलीना इतरत शेर

10 शेर

अँधेरी शब का ये ख़्वाब-मंज़र मुझे उजालों से भर रहा है
ये रात इतनी तवील कर दे कि ता-क़यामत सहर न आए

अलीना इतरत




अभी तो चाक प जारी है रक़्स मिट्टी का
अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती है

अलीना इतरत




अभी तो चाक पे जारी है रक़्स मिट्टी का
अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती है

अलीना इतरत




अजब सी कशमकश तमाम उम्र साथ साथ थी
रखा जो रूह का भरम तो जिस्म मेरा मर गया

अलीना इतरत




ब'अद मुद्दत मुझे नींद आई बड़े चैन की नींद
ख़ाक जब ओढ़ ली और ख़ाक बिछा ली मैं ने

अलीना इतरत




हम हवा से बचा रहे थे जिन्हें
उन चराग़ों से जल गए शायद

अलीना इतरत




जिन के मज़बूत इरादे बने पहचान उन की
मंज़िलें आप ही हो जाती हैं आसान उन की

अलीना इतरत




किसी के वास्ते तस्वीर-ए-इंतिज़ार थे हम
वो आ गया प कहाँ ख़त्म इंतिज़ार हुआ

अलीना इतरत




कुछ कड़े टकराओ दे जाती है अक्सर रौशनी
जूँ चमक उठती है कोई बर्क़ तलवारों के बेच

अलीना इतरत