मौसम-ए-गुल पर ख़िज़ाँ का ज़ोर चल जाता है क्यूँ
हर हसीं मंज़र बहुत जल्दी बदल जाता है क्यूँ
अलीना इतरत
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मौसम-ए-गुल पर ख़िज़ाँ का ज़ोर चल जाता है क्यूँ
हर हसीं मंज़र बहुत जल्दी बदल जाता है क्यूँ
अलीना इतरत