ग़म-ए-वजूद का मातम करूँ तो कैसे जिऊँ
मगर ख़ुदा तिरे दामन पे दाग़ है कि नहीं
अख़लाक़ अहमद आहन
राह-ए-हयात में न मिली एक पल ख़ुशी
ग़म का ये बोझ दोश पे सामान सा रहा
अख़लाक़ अहमद आहन
रस्म-ए-दुनिया के सलासिल में गिरफ़्तारी है
मत ठहरना कि कहीं फाँस जवाँ-तर हो जाए
अख़लाक़ अहमद आहन
सितारों की गर्दिश दिलों का बिछड़ना
ये कैसे ख़ुदा की है कैसी ख़ुदाई
अख़लाक़ अहमद आहन
तिरे फ़िराक़ में हम ने बहाए अश्क-ए-जिगर
ये सब ने चाहा मगर आए तो लहू आए
अख़लाक़ अहमद आहन
वो जादू अदाएँ अदाओं में जादू
ये पहुँचाएँ हम को फ़ना से बक़ा तक
अख़लाक़ अहमद आहन
ये कैसी जगह है कि दिल खो रहा है
बयाबाँ है सहरा है गुलशन है क्या है
अख़लाक़ अहमद आहन