इश्क़ जैसे कहीं छूने से भी लग जाता हो
कौन बैठेगा भला आप के बीमार के साथ
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
किस के बदन की नर्मियाँ हाथों को गुदगुदा गईं
दश्त-ए-फ़िराक़-ए-यार को पहलू-ए-यार कर दिया
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
मिरी राख में थीं कहीं कहीं मेरे एक ख़्वाब की किर्चियाँ
मेरे जिस्म-ओ-जाँ में छुपा हुआ तिरी क़ुर्बतों का ख़याल था
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
रहज़नों के हाथ सारा इंतिज़ाम आया तो क्या
फिर वफ़ा के मुजरिमों में मेरा नाम आया तो क्या
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
टैग:
| 2 लाइन शायरी |