रक़ीब क़त्ल हुआ उस की तेग़-ए-अबरू से
हराम-ज़ादा था अच्छा हुआ हलाल हुआ
आग़ा अकबराबादी
टैग:
| रकीब |
| 2 लाइन शायरी |
आग़ोश सीं सजन के हमन कूँ किया कनार
मारुँगा इस रक़ीब कूँ छड़ियों से गोद गोद
आबरू शाह मुबारक
टैग:
| रकीब |
| 2 लाइन शायरी |
मुझ से बिगड़ गए तो रक़ीबों की बन गई
ग़ैरों में बट रहा है मिरा ए'तिबार आज
अहमद हुसैन माइल
हम अपने इश्क़ की अब और क्या शहादत दें
हमें हमारे रक़ीबों ने मो'तबर जाना
आलमताब तिश्ना
टैग:
| रकीब |
| 2 लाइन शायरी |
कहते हो कि हमदर्द किसी का नहीं सुनते
मैं ने तो रक़ीबों से सुना और ही कुछ है
अमीर मीनाई
टैग:
| रकीब |
| 2 लाइन शायरी |
न मैं समझा न आप आए कहीं से
पसीना पोछिए अपनी जबीं से
अनवर देहलवी
ये कह के मेरे सामने टाला रक़ीब को
मुझ से कभी की जान न पहचान जाइए
बेख़ुद देहलवी
टैग:
| रकीब |
| 2 लाइन शायरी |