मुसाफ़िर अपनी मंज़िल पर पहुँच कर चैन पाते हैं
वो मौजें सर पटकती हैं जिन्हें साहिल नहीं मिलता
मख़मूर देहलवी
नगरी नगरी फिरा मुसाफ़िर घर का रस्ता भूल गया
क्या है तेरा क्या है मेरा अपना पराया भूल गया
मीराजी
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वो रात का बे-नवा मुसाफ़िर वो तेरा शाइर वो तेरा 'नासिर'
तिरी गली तक तो हम ने देखा था फिर न जाने किधर गया वो
नासिर काज़मी
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ऐ अदम के मुसाफ़िरो होशियार
राह में ज़िंदगी खड़ी होगी
साग़र सिद्दीक़ी
मुसाफ़िरों से मोहब्बत की बात कर लेकिन
मुसाफ़िरों की मोहब्बत का ए'तिबार न कर
उमर अंसारी