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मोहब्बत शायरी | शाही शायरी

मोहब्बत

406 शेर

इश्क़ है इश्क़ करने वालों को
कैसा कैसा बहम क्या है इश्क़

मीर तक़ी मीर




इश्क़ है तर्ज़ ओ तौर इश्क़ के तईं
कहीं बंदा कहीं ख़ुदा है इश्क़

love is the mode and style of love
it's man below and God above

मीर तक़ी मीर




इश्क़ ही इश्क़ है जहाँ देखो
सारे आलम में भर रहा है इश्क़

its only Love where'er you see
Love fills this world entirely

मीर तक़ी मीर




इश्क़ इक 'मीर' भारी पत्थर है
कब ये तुझ ना-तवाँ से उठता है

love is a real burden, Miir, it is a heavy stone
how can it be lifted by a weak person alone?

मीर तक़ी मीर




इश्क़ का घर है 'मीर' से आबाद
ऐसे फिर ख़ानमाँ-ख़राब कहाँ

love's abode has been by miir inhabited
???

मीर तक़ी मीर




इश्क़ माशूक़ इश्क़ आशिक़ है
यानी अपना ही मुब्तला है इश्क़

both lover and beloved be
love's self-involved entirely

मीर तक़ी मीर




इश्क़ से जा नहीं कोई ख़ाली
दिल से ले अर्श तक भरा है इश्क़

मीर तक़ी मीर