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Justaju शायरी | शाही शायरी

Justaju

26 शेर

ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से
बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ

जौन एलिया




तिरी तलाश में निकले तो इतनी दूर गए
कि हम से तय न हुए फ़ासले जुदाई के

जुनैद हज़ीं लारी




मुझ को शौक़-ए-जुस्तुजू-ए-काएनात
ख़ाक से 'आदिल' ख़ला तक ले गया

महफूजुर्रहमान आदिल




जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया

नासिर काज़मी




सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता

निदा फ़ाज़ली




जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे
चाँद के हमराह हम हर शब सफ़र करते रहे

परवीन शाकिर




जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने

शहरयार