इतने मायूस तो हालात नहीं
लोग किस वास्ते घबराए हैं
जाँ निसार अख़्तर
जलाने वाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर
ये क्या कहा कि हवा तेज़ है ज़माने की
जमील मज़हरी
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
जिगर मुरादाबादी
हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
जिगर मुरादाबादी
जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं
जिगर मुरादाबादी
वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो
हौसले मुश्किलों में पलते हैं
महफूजुर्रहमान आदिल
ये कह के दिल ने मिरे हौसले बढ़ाए हैं
ग़मों की धूप के आगे ख़ुशी के साए हैं
माहिर-उल क़ादरी