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Hausla शायरी | शाही शायरी

Hausla

37 शेर

लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं
मैं ने उस हाल में जीने की क़सम खाई है

अमीर क़ज़लबाश




बना लेता है मौज-ए-ख़ून-ए-दिल से इक चमन अपना
वो पाबंद-ए-क़फ़स जो फ़ितरतन आज़ाद होता है

असग़र गोंडवी




वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है

बिस्मिल अज़ीमाबादी




अभी से पाँव के छाले न देखो
अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है

एजाज़ रहमानी




वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से
वो और थे जो हार गए आसमान से

फ़हीम जोगापुरी




हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे

We will nourish the pen and tablet; we will tend them ever
We will write what the heart suffers; we will defend them eve

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




मौजों की सियासत से मायूस न हो 'फ़ानी'
गिर्दाब की हर तह में साहिल नज़र आता है

फ़ानी बदायुनी