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आज मुद्दत में वो याद आए हैं | शाही शायरी
aaj muddat mein wo yaad aae hain

ग़ज़ल

आज मुद्दत में वो याद आए हैं

जाँ निसार अख़्तर

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आज मुद्दत में वो याद आए हैं
दर ओ दीवार पे कुछ साए हैं

आबगीनों से न टकरा पाए
कोहसारों से तो टकराए हैं

ज़िंदगी तेरे हवादिस हम को
कुछ न कुछ राह पे ले आए हैं

संग-रेज़ों से ख़ज़फ़-पारों से
कितने हीरे कभी चुन लाए हैं

इतने मायूस तो हालात नहीं
लोग किस वास्ते घबराए हैं

उन की जानिब न किसी ने देखा
जो हमें देख के शरमाए हैं