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हसरत शायरी | शाही शायरी

हसरत

23 शेर

कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़-दार में

tell all my desires to go find another place
in this scarred heart alas there isn't enough space

बहादुर शाह ज़फ़र




मय-कदे को जा के देख आऊँ ये हसरत दिल में है
ज़ाहिद उस मिट्टी की उल्फ़त मेरी आब-ओ-गिल में है

हबीब मूसवी




कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया

save visions of her, nothing comes to mind
the longing for her sight surely turned me blind

हैदर अली आतिश




ख़्वाब, उम्मीद, तमन्नाएँ, तअल्लुक़, रिश्ते
जान ले लेते हैं आख़िर ये सहारे सारे

इमरान-उल-हक़ चौहान




एक भी ख़्वाहिश के हाथों में न मेहंदी लग सकी
मेरे जज़्बों में न दूल्हा बन सका अब तक कोई

इक़बाल साजिद




ख़्वाहिशों ने डुबो दिया दिल को
वर्ना ये बहर-ए-बे-कराँ होता

इस्माइल मेरठी




हसरतों का हो गया है इस क़दर दिल में हुजूम
साँस रस्ता ढूँढती है आने जाने के लिए

जिगर जालंधरी