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प्रसिद्ध शायरी | शाही शायरी

प्रसिद्ध

248 शेर

वो अक्स बन के मिरी चश्म-ए-तर में रहता है
अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है

बिस्मिल साबरी




ज़िंदगी क्या है अनासिर में ज़ुहूर-ए-तरतीब
मौत क्या है इन्हीं अज्ज़ा का परेशाँ होना

चकबस्त ब्रिज नारायण




ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता

चराग़ हसन हसरत




और होंगे तिरी महफ़िल से उभरने वाले
हज़रत-ए-'दाग़' जहाँ बैठ गए बैठ गए

others might dedide to depart from your domain
but once 'Daag' settles down there shall he remain

दाग़ देहलवी




दी शब-ए-वस्ल मोअज़्ज़िन ने अज़ाँ पिछली रात
हाए कम-बख़्त को किस वक़्त ख़ुदा याद आया

दाग़ देहलवी




हज़रत-ए-दाग़ जहाँ बैठ गए बैठ गए
और होंगे तिरी महफ़िल से उभरने वाले

दाग़ देहलवी




ख़बर सुन कर मिरे मरने की वो बोले रक़ीबों से
ख़ुदा बख़्शे बहुत सी ख़ूबियाँ थीं मरने वाले में

upon my death she stated to my rivals, if you please
may God spare the parted soul had many qualities

दाग़ देहलवी