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यूँ जुदा हुए मेरे दर्द-आश्ना मुझ से | शाही शायरी
yun juda hue mere dard-ashna mujhse

ग़ज़ल

यूँ जुदा हुए मेरे दर्द-आश्ना मुझ से

सज्जाद बलूच

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यूँ जुदा हुए मेरे दर्द-आश्ना मुझ से
एक से ख़फ़ा हूँ मैं दूसरा ख़फ़ा मुझ से

इक दिए से कोशिश की दूसरा जलाने की
और इस अमल में फिर वो भी बुझ गया मुझ से

तेरी आरज़ू क्या है क्या नहीं समझता मैं
देख अपनी ख़्वाहिश को और मत छुपा मुझ से

राह का शजर हूँ मैं और इक मुसाफ़िर तू
दे कोई दुआ मुझ को ले कोई दुआ मुझ से

मैं उजाड़ गुलशन में इस लिए ही बैठा हूँ
बाँटता है दुख अपना मौजा-ए-सबा मुझ से