खुली न मुझ पे भी दीवानगी मिरी बरसों
मिरे जुनून की शोहरत तिरे बयाँ से हुई
फ़राग़ रोहवी
कभी ख़िरद कभी दीवानगी ने लूट लिया
तरह तरह से हमें ज़िंदगी ने लूट लिया
हफ़ीज़ बनारसी
ऐन दानाई है 'नासिख़' इश्क़ में दीवानगी
आप सौदाई हैं जो कहते हैं सौदाई मुझे
इमाम बख़्श नासिख़
नई मुश्किल कोई दरपेश हर मुश्किल से आगे है
सफ़र दीवानगी का इश्क़ की मंज़िल से आगे है
ख़ुशबीर सिंह शाद
कभू रोना कभू हँसना कभू हैरान हो जाना
मोहब्बत क्या भले-चंगे को दीवाना बनाती है
laughing, crying and at times spouting inanity
passion does render a wise person to insanity
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
दिल के मुआमले में मुझे दख़्ल कुछ नहीं
इस के मिज़ाज में जिधर आए उधर रहे
लाला माधव राम जौहर
मैं आ गया हूँ वहाँ तक तिरी तमन्ना में
जहाँ से कोई भी इम्कान-ए-वापसी न रहे
महमूद गज़नी