हम से क्या हो सका मोहब्बत में
ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की
फ़िराक़ गोरखपुरी
ये जफ़ाओं की सज़ा है कि तमाशाई है तू
ये वफ़ाओं की सज़ा है कि पए-दार हूँ मैं
हामिद मुख़्तार हामिद
वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी
मैं उस की क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी
इफ़्तिख़ार आरिफ़
वही तो मरकज़ी किरदार है कहानी का
उसी पे ख़त्म है तासीर बेवफ़ाई की
इक़बाल अशहर
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हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसे
वो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है
जमील मलिक
इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है
जौन एलिया
हम ने तो ख़ुद को भी मिटा डाला
तुम ने तो सिर्फ़ बेवफ़ाई की
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
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