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आरजू शायरी | शाही शायरी

आरजू

66 शेर

अदम से दहर में आना किसे गवारा था
कशाँ कशाँ मुझे लाई है आरज़ू तेरी

तअशशुक़ लखनवी




बाद-ए-तर्क-ए-आरज़ू बैठा हूँ कैसा मुतमइन
हो गई आसाँ हर इक मुश्किल ब-आसानी मिरी

तिलोकचंद महरूम




तलातुम आरज़ू में है न तूफ़ाँ जुस्तुजू में है
जवानी का गुज़र जाना है दरिया का उतर जाना

तिलोकचंद महरूम