दिल-रुबा तुझ सा जो दिल लेने में अय्यारी करे
फिर कोई दिल्ली में क्या दिल की ख़बरदारी करे
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
एक बोसे से मुराद-ए-दिल-ए-नाशाद तो दो
कुछ न दो हाथ से पर मुँह से मिरी दाद तो दो
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
फ़िलफ़िल-ए-ख़ाल-ए-मलाहत के तसव्वुर में तिरे
चरचराहट है कबाब-ए-दिल-ए-बिरयान में क्या
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
गले से लगते ही जितने गिले थे भूल गए
वगर्ना याद थीं हम को शिकायतें क्या किया
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
गले से लगते ही जितने गिले थे भूल गए
वगर्ना याद थीं मुझ को शिकायतें क्या क्या
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
गर है दुनिया की तलब ज़ाहिद-ए-मक्कार से मिल
दीन है मतलूब तो इस तालिब-ए-दीदार से मिल
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
गरेबाँ चाक है हाथों में ज़ालिम तेरा दामाँ है
कि इस दामन तलक ही मंज़िल-ए-चाक-ए-गरेबाँ है
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी