गिरते हैं लोग गर्मी-ए-बाज़ार देख कर
सरकार देख कर मिरी सरकार देख कर
अब्दुल हमीद अदम
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गुलों को खिल के मुरझाना पड़ा है
तबस्सुम की सज़ा कितनी बड़ी है
अब्दुल हमीद अदम
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हाथ से खो न बैठना उस को
इतनी ख़ुद्दारियाँ नहीं अच्छी
अब्दुल हमीद अदम
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हद से बढ़ कर हसीन लगते हो
झूटी क़समें ज़रूर खाया करो
अब्दुल हमीद अदम
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हम और लोग हैं हम से बहुत ग़ुरूर न कर
कलीम था जो तिरा नाज़ सह गया होगा
अब्दुल हमीद अदम
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हम को शाहों की अदालत से तवक़्क़ो' तो नहीं
आप कहते हैं तो ज़ंजीर हिला देते हैं
अब्दुल हमीद अदम
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हर दिल-फ़रेब चीज़ नज़र का ग़ुबार है
आँखें हसीन हों तो ख़िज़ाँ भी बहार है
अब्दुल हमीद अदम
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