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हँस के बोला करो बुलाया करो | शाही शायरी
hans ke bola karo bulaya karo

ग़ज़ल

हँस के बोला करो बुलाया करो

अब्दुल हमीद अदम

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हँस के बोला करो बुलाया करो
आप का घर है आया जाया करो

मुस्कुराहट है हुस्न का ज़ेवर
मुस्कुराना न भूल जाया करो

हद से बढ़ कर हसीन लगते हो
झूटी क़स्में ज़रूर खाया करो

ताकि दुनिया की दिलकशी न घटे
नित-नए पैरहन में आया करो

कितने सादा-मिज़ाज हो तुम 'अदम'
उस गली में बहुत न जाया करो