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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

कभी न हुस्न-ओ-मोहब्बत में बन सकी 'वाहिद'
वो अपने नाज़ में हम अपने बाँकपन में रहे

वाहिद प्रेमी




किस शान किस वक़ार से किस बाँकपन से हम
गुज़रे हैं आज़माइश-ए-दार-ओ-रसन से हम

वाहिद प्रेमी




किसी को बे-सबब शोहरत नहीं मिलती है ऐ 'वाहिद'
उन्हीं के नाम हैं दुनिया में जिन के काम अच्छे हैं

वाहिद प्रेमी




किसी को बे-सबब शोहरत नहीं मिलती है ऐ 'वाहिद'
उन्हीं के नाम हैं दुनिया में जिन के काम अच्छे हैं

वाहिद प्रेमी




कोई गर्दिश हो कोई ग़म हो कोई मुश्किल हो
जिस को आना हो हमारे वो मुक़ाबिल आए

वाहिद प्रेमी




कोई हंगामा-ए-हयात नहीं
रात ख़ामोश है सहर ख़ामोश

वाहिद प्रेमी




कोई हंगामा-ए-हयात नहीं
रात ख़ामोश है सहर ख़ामोश

वाहिद प्रेमी