हक़ बात सर-ए-बज़्म भी कहने में तअम्मुल
हक़ बात सर-ए-दार कहो सोचते क्या हो
वाहिद प्रेमी
हुजूम-ए-ग़म से मिली है हयात-ए-नौ मुझ को
हुजूम-ए-दर्द से पाया है हौसला मैं ने
वाहिद प्रेमी
हुजूम-ए-ग़म से मिली है हयात-ए-नौ मुझ को
हुजूम-ए-दर्द से पाया है हौसला मैं ने
वाहिद प्रेमी
इस तरह हुस्न-ओ-मोहब्बत की करो तुम तफ़्सीर
मुझ को आईना कहो और उन्हें तस्वीर कहो
वाहिद प्रेमी
का'बा-ओ-दैर-ओ-कलीसा का तजस्सुस क्यूँ हो
जब मिरे क़ल्ब ही में मेरा ख़ुदा है यारो
वाहिद प्रेमी
का'बा-ओ-दैर-ओ-कलीसा का तजस्सुस क्यूँ हो
जब मिरे क़ल्ब ही में मेरा ख़ुदा है यारो
वाहिद प्रेमी
कभी न हुस्न-ओ-मोहब्बत में बन सकी 'वाहिद'
वो अपने नाज़ में हम अपने बाँकपन में रहे
वाहिद प्रेमी