कोई इस फ़स्ल में दीवाना हुआ है शायद
कि हवा हाथ में ज़ंजीर लिए फिरती है
तालिब अली खान ऐशी
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दुनिया से मैं ने भी कोई रग़बत नहीं रखी
उस ने भी मुझ से सर्फ़-ए-नज़र कर लिया तो क्या
तालिब अंसारी
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दुनिया से मैं ने भी कोई रग़बत नहीं रखी
उस ने भी मुझ से सर्फ़-ए-नज़र कर लिया तो क्या
तालिब अंसारी
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यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ
ऐ दोस्त किसी रोज़ न जाने के लिए आ
तालिब बाग़पती
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आज फिर चाँद देर से निकला
तुम ने फिर देर कर दी आने में
तालिब हुसैन तालिब
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आज फिर चाँद देर से निकला
तुम ने फिर देर कर दी आने में
तालिब हुसैन तालिब
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देख कर तुम को हैरती हूँ मैं
किस क़दर हुस्न है ज़माने में
तालिब हुसैन तालिब
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