EN اردو
2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

बार-ए-ख़ातिर ही अगर है तो इनायत कीजे
आप को हुस्न मुबारक हो मिरा दिल मुझ को

तअशशुक़ लखनवी




बार-ए-ख़ातिर ही अगर है तो इनायत कीजे
आप को हुस्न मुबारक हो मिरा दिल मुझ को

तअशशुक़ लखनवी




बहुत मुज़िर दिल-ए-आशिक़ को आह होती है
इसी हवा से ये कश्ती तबाह होती है

तअशशुक़ लखनवी




चला घर से वो बहर-ए-हुस्न अल्लाह रे कशिश दिल की
अजब क़तरा है जो खींचे लिए जाता है दरिया को

तअशशुक़ लखनवी




चला घर से वो बहर-ए-हुस्न अल्लाह रे कशिश दिल की
अजब क़तरा है जो खींचे लिए जाता है दरिया को

तअशशुक़ लखनवी




चिराग़-दाग़ मैं दिन से जलाए बैठा हूँ
सुना है जो शब-ए-फ़ुर्क़त सियाह होती है

तअशशुक़ लखनवी




देते फिरते थे हसीनों की गली में आवाज़
कभी आईना-फ़रोश-ए-दिल-ए-हैरान हम थे

तअशशुक़ लखनवी