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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

अजब क्या है जो नौ-ख़ेज़ों ने सब से पहले जानें दीं
कि ये बच्चे हैं इन को जल्द सो जाने की आदत है

शिबली नोमानी




अजब क्या है जो नौ-ख़ेज़ों ने सब से पहले जानें दीं
कि ये बच्चे हैं इन को जल्द सो जाने की आदत है

शिबली नोमानी




फ़राज़-ए-दार पे भी मैं ने तेरे गीत गाए हैं
बता ऐ ज़िंदगी तू लेगी कब तक इम्तिहाँ मेरा

शिबली नोमानी




जम्अ कर लीजिए ग़ैरों को मगर ख़ूबी-ए-बज़्म
बस वहीं तक है कि बाज़ार न होने पाए

शिबली नोमानी




जम्अ कर लीजिए ग़ैरों को मगर ख़ूबी-ए-बज़्म
बस वहीं तक है कि बाज़ार न होने पाए

शिबली नोमानी




मैं रूह-ए-आलम-ए-इम्काँ में शरह-ए-अज़्मत-ए-यज़्दाँ
अज़ल है मेरी बेदारी अबद ख़्वाब-ए-गिराँ मेरा

शिबली नोमानी




तस्ख़ीर-ए-चमन पर नाज़ाँ हैं तज़ईन-ए-चमन तो कर न सके
तसनीफ़ फ़साना करते हैं क्यूँ आप मुझे बहलाने को

शिबली नोमानी