बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था
हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा
शौक़ बहराइची
बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था
हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा
शौक़ बहराइची
हर मुल्क इस के आगे झुकता है एहतिरामन
हर मुल्क का है फ़ादर हिन्दोस्ताँ हमारा
शौक़ बहराइची
हर मुल्क इस के आगे झुकता है एहतिरामन
हर मुल्क का है फ़ादर हिन्दोस्ताँ हमारा
शौक़ बहराइची
इतरा के आईना में चिढ़ाते थे अपना मुँह
देखा मुझे तो झेंप गए मुँह छुपा लिया
शौक़ क़िदवाई
आगे आगे कोई मिशअल सी लिए चलता था
हाए क्या नाम था उस शख़्स का पूछा भी नहीं
शाज़ तमकनत
आगे आगे कोई मिशअल सी लिए चलता था
हाए क्या नाम था उस शख़्स का पूछा भी नहीं
शाज़ तमकनत