ख़ुद वो करते हैं जिसे अहद-ए-वफ़ा से ताबीर
सच तो ये है कि वो धोका भी मुझे याद नहीं
शौकत परदेसी
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किसी की बाज़ी कैसी घात
वक़्त का पाँसा वक़्त की बात
शौकत परदेसी
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किसी की बाज़ी कैसी घात
वक़्त का पाँसा वक़्त की बात
शौकत परदेसी
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कुछ तो फ़ितरत से मिली दानाई
कुछ मयस्सर हुई नादानों से
शौकत परदेसी
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क्या बढ़ेगा वो तसव्वुर की हदों से आगे
सुब्ह की देख के याद आए जिसे शाम की बात
शौकत परदेसी
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क्या बढ़ेगा वो तसव्वुर की हदों से आगे
सुब्ह की देख के याद आए जिसे शाम की बात
शौकत परदेसी
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मौज-ए-तूफ़ाँ से निकल कर भी सलामत न रहे
नज़्र-ए-साहिल हुए दरिया के शनावर कितने
शौकत परदेसी
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