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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

हँसते हँसते बहे हैं आँसू भी
रोते रोते हँसती भी आई हमें

शौकत परदेसी




हँसते हँसते बहे हैं आँसू भी
रोते रोते हँसती भी आई हमें

शौकत परदेसी




हाए उस मिन्नत-कश-ए-वहम-ओ-गुमाँ की जुस्तुजू
ज़िंदगी जिस को न पाए जो न पाए ज़िंदगी

शौकत परदेसी




हवाएँ रोक न पाईं भँवर डुबो न सके
वो एक नाव जो अज़्म-ए-सफ़र के बा'द चली

शौकत परदेसी




हवाएँ रोक न पाईं भँवर डुबो न सके
वो एक नाव जो अज़्म-ए-सफ़र के बा'द चली

शौकत परदेसी




होश वाले तो उलझते ही रहे
रास्ते तय हुए दीवानों से

शौकत परदेसी




हदूद-ए-जिस्म से आगे बढ़े तो ये देखा
कि तिश्नगी थी बरहना तिरी अदाओं तक

शौकत परदेसी