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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

है अबस 'हातिम' ये सब मज़मून ओ मअ'नी का तलाश
मुँह से जो निकला सुख़न-गो के सो मौज़ूँ हो गया

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




है अबस 'हातिम' ये सब मज़मून ओ मअ'नी का तलाश
मुँह से जो निकला सुख़न-गो के सो मौज़ूँ हो गया

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




है कभू दिल में कभू जी में कभू आँखों के बीच
कौन कहता है उसे यारो कि हरजाई नहीं

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




है राह-ए-आशिक़ी तारीक और बारीक और सुकड़ी
नहीं कुछ काम आने की यहाँ ज़ाहिद तिरी लकड़ी

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




है राह-ए-आशिक़ी तारीक और बारीक और सुकड़ी
नहीं कुछ काम आने की यहाँ ज़ाहिद तिरी लकड़ी

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




हैराँ हैं अपने अपने जो देखा सो काम में
क्या नाख़ुदा-शनास यहाँ क्या ख़ुदा-शनास

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




हम बहुत देखे फ़रंगिस्तान के हुस्न-ए-सबीह
चर्ब है सब पर बुतान-ए-हिन्द का रंग-ए-मलीह

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम