मोहब्बत करने वाले दर्द में तन्हा नहीं होते
जो रूठोगे कभी मुझ से तो अपना दिल दुखाओगे
आज़िम कोहली
मुझे अय्यारियाँ सब आ गई हैं
मैं अब तेरे नगर का हो गया हूँ
आज़िम कोहली
नीला अम्बर चाँद सितारे बच्चों की जागीरें हैं
अपनी दुनिया में तो बस दीवारें ही ज़ंजीरें हैं
आज़िम कोहली
रंग आ जाता था उन की दीद से रुख़ पर मिरे
देख कर अब वो भी मुझ को सुर्ख़-रू होने लगे
आज़िम कोहली
सब्र की तकरार थी जोश ओ जुनून-ए-इश्क़ से
ज़िंदगी भर दिल मुझे मैं दिल को समझाता रहा
आज़िम कोहली
वो जाते जाते मुझे अपने ग़म भी सौंप गया
अजीब ढंग निकाला है ग़म-गुसारी का
आज़िम कोहली
ये क्या हुआ कि अब तुझी से बद-गुमाँ मैं हो गया
मैं सोचता था ज़िंदगी तू मुझ को रास आ गई
आज़िम कोहली