पूछने वालों को क्या कहिए कि धोके में नहीं
कुफ़्र ओ इस्लाम हक़ीक़त में हैं यकसाँ हम को
शाह नसीर
रख क़दम होश्यार हो कर इश्क़ की मंज़िल में आह
जो हुआ इस राह में ग़ाफ़िल ठिकाने लग गया
शाह नसीर
रेख़्ता के क़स्र की बुनियाद उठाई ऐ 'नसीर'
काम है मुल्क-ए-सुख़न में साहिब-ए-मक़्दूर का
शाह नसीर
रुवाक़-ए-चशम में मत रह कि है मकान-ए-नुज़ूल
तिरे तो वास्ते ये क़स्र है बना दिल का
शाह नसीर
रुवाक़-ए-चशम में मत रह कि है मकान-ए-नुज़ूल
तिरे तो वास्ते ये क़स्र है बना दिल का
शाह नसीर
सब पे रौशन है कि राह-ए-इश्क़ में मानिंद-ए-शम्अ
पाँव पर से हम ने क़ुर्बां रफ़्ता रफ़्ता सर किया
शाह नसीर
सैर की हम ने जो कल महफ़िल-ए-ख़ामोशाँ की
न तो बेगाना ही बोला न पुकारा अपना
शाह नसीर