अक़्ल में जो घिर गया ला-इंतिहा क्यूँकर हुआ
जो समा में आ गया फिर वो ख़ुदा क्यूँकर हुआ
अकबर इलाहाबादी
असर ये तेरे अन्फ़ास-ए-मसीहाई का है 'अकबर'
इलाहाबाद से लंगड़ा चला लाहौर तक पहुँचा
अकबर इलाहाबादी
बी.ए भी पास हों मिले बी-बी भी दिल-पसंद
मेहनत की है वो बात ये क़िस्मत की बात है
अकबर इलाहाबादी
बस जान गया मैं तिरी पहचान यही है
तू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता
अकबर इलाहाबादी
बताऊँ आप को मरने के बाद क्या होगा
पोलाओ खाएँगे अहबाब फ़ातिहा होगा
अकबर इलाहाबादी
बोले कि तुझ को दीन की इस्लाह फ़र्ज़ है
मैं चल दिया ये कह के कि आदाब अर्ज़ है
अकबर इलाहाबादी
बूट डासन ने बनाया मैं ने इक मज़मूँ लिखा
मुल्क में मज़मूँ न फैला और जूता चल गया
अकबर इलाहाबादी